भारतीय इतिहास में मुगल शासक औरंगजेब को एक क्रूर और हिंदू विरोधी शासक के रूप में याद किया जाता है। औरंगजेब द्वारा हिंदुओं के कत्लेआम और मंदिरों को तहस-नहस करने की भी काफी सारी कहानियां प्रचलित है। परन्तु यह सोमेश्वर महादेव की ही महिमा थी कि उसे न केवल अपने हिंदू विरोधी अभियान को रोकना पड़ा वरन भगवान शिव के आगे सिर भी झुकाना पड़ा।
चंद्रदेव ने कि थी मंदिर की स्थापना
प्रयाग के सोमतीर्थ स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर भारत के प्रमुख शिवालयों में माना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार इस मंदिर की स्थापना चंद्रदेव ने की थी। पौराणिक मान्यता है कि चन्द्रदेव को ऋषि गौतम द्वारा कुष्ठ रोगी होने का शाप दिया गया था। चंद्रदेव ने इस शाप से मुक्ति के लिए यहीं बैठ कर भगवान शिव की आराधना की। चंद्रदेव का कुष्ठ रोग दूर करने के साथ ही भोलेनाथ ने आर्शीवाद दिया कि जो भी इस मंदिर में दर्शन करेगा उसके समस्त कष्ट दूर हो जाएंगे। चंद्रदेव के लाम पर ही इस मंदिर का नाम सोमेश्वर महादेव पड़ा। सावन के महीने में यहां पर हजारों की संख्या में शिवभक्त दर्शन के लिए आते हैं।
औरंगजेब ने भी झुकाया था सिर
औरंगजेब ने अपने राज में सभी हिंदू मंदिरों को तोड़ने की आज्ञा दी थी। ऐसे ही एक अभियान के दौरान उसकी सेना सोमेश्वर महादेव मंदिर पहुंची परन्तु यहां पर भगवान शिव के चमत्कार को देख वह नतमस्तक हो गया। उसने मंदिर को तोड़ने का फैसला टाल दिया और एक बडी जागीर मंदिर के रख-रखाव के लिए दान में दे दी। इसका उल्लेख मंदिर के बाहर लगे एक धर्मदंड और फरमान में भी है।
क्या लिखा है मंदिर के बाहर धर्मदंड में
सोमेश्वर महादेव मंदिर में हनुमान प्रतिमा के सामने एक धर्मदंड है। एक शिला के रूप में स्थापित इस धर्मदंड में संवत् 1674 के श्रावण मास में औरंगजेब की ओर से मंदिर को जागीर दिए जाने का उल्लेख है। परन्तु प्रतिदिन सिंदूर का लेप होने के कारण यह लेख एकदम से स्पष्ट नहीं दिखाई देता।
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