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Friday, April 3, 2015

Amazing Masroor Temple complex

'विशालकाय शैलोत्कीर्ण एकाश्म मसरूर मँदिर 
Amazing Masroor Temple complex ornately carved out of single rock
According to locals, this temple was built by Bhima during Mahabharata times more than 5000 years ago.
The 15 temples form a single group with a larger temple - Thakurdwara shrine - in the centre. 14 temples are cut only from the outside, but Thakurdwara - also from the inside.
All temples are (or were) covered with intricate stone carvings of high quality but the most elaborate carvings adorn Thakurdwara.
The entrance in this central temple is facing east. Entrance part has four massive columns. Further entrance in the main shrine - garb-griha - leads through especially ornate stone door. Inside the shrine are blackstone images of Lord Rama, Sitaand Laxmana.
In the front of this group of pyramids was hewn almost 50 m long, rectangular water tank - gan . This is important part of this architectonic complex, almost always filled with water and mirroring the amazing temple complex.
एक कथानक के अनुसार इन एकाश्म मन्दिरों का निर्माण पांडवों द्वारा अपने अज्ञातवास के दौरान किया गया। पहाड़ी की ढलान पर
जंगली क्षेत्र में फैली हुई विशाल निर्माण एवं वास्तु की प्रतीक मसरूर मन्दिर समूह में चट्टान को काटकर बनाए गए उन्नीस स्वतंत्र खड़े हुए मन्दिर थे परन्तु वर्तमान में इनमें से कुछ ही शेष बचे हैं। मुख्य मन्दिर ठाकुरद्वारा मध्य में स्थित है। इसी के चारों ओर अन्य
मन्दिरों को इसी समरूपता में बनाया गया था। इनमें से सोलह मन्दिरों का निर्माण एक बड़े बलुआ पत्थर की पहाड़ी को काटकर किया गया है।
जबकि दो मन्दिर मुख्य समूह से अलग स्वतंत्र रूप से दोनों किनारों पर निर्मित हैं। इन समूह मन्दिरों में ठाकुरद्वारा मन्दिर का निर्माण गुफा के रूप में चट्टान को काट कर किया गया है। इसके बाहरी हिस्से एवं दरवाजों को विस्तृत रूप से अलंकृत किया गया है। मन्दिर का द्वार उत्तर-पूर्व दिशा में है। गर्भगृह के मुख्यद्वार के ललाटबिम्ब  पर उत्कीर्ण शिव की प्रतिमा से पता चलता है कि वास्तव में यह एक शिव मन्दिर था। नागरशैली में निर्मित इस मन्दिर में वर्गाकार गर्भगृह, अंतराल, मंडप एवं मुखमंडप हैं। मंडप व मुखमंडप का पता विशाल गोलाकार स्तम्भों के भग्नावशेषों से चलता है जो अभी भी योजनानुसार अपनी जगह पर मौजूद है। मंदिर के मंडप एवं मूल प्रसाद के बीच एक बृहद अंतराल है,जिस की छत को बहुत ही सुन्दर ढंग से अलंकृत किया गया है जिनमें सात खिले हुए कमल एवं हीरक अलंकरण प्रमुख हैं।
मन्दिर का प्रतिबिम्ब तालाब में भव्य दिखता है जैसे आमने-सामने दो मन्दिर हों।
गर्भगृह का विशाल द्वार पूर्ण रूप से अलंकृत है जिसमें पांच द्वार शाखाएं एवं भारपट्ट हैं। ललाटबिम्ब की शाखाएं 17 शिव आकृतियों से अलंकृत हैं। इसके अलावा शक्ति देवी की पांच अलग-अलग मूर्तियां हैं जिनमें द्वार के ऊपर बनी महेश्वरी, इन्द्राणी एवं तीन सिर वाली वज्र-वाराही को आसानी से पहचाना जा सकता है।
गर्भगृह के अन्दर मध्य में एक उठी हुई पादपीठिका है जिसके ऊपर राम, लक्ष्मण एवं सीता की पाषाण मूर्तियां हैं जो कि बाद के काल की प्रतीत होती हैं। मुख्य मन्दिर का शिखर नागर शैली का है जिसमें नौ-मूर्तियां  हैं । प्रत्येक भूमि के कोनों पर आमलक बने हुए हैं। वरङ्क्षण्डका के ऊपर जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे है चौड़े चैत्य कोष्ठ से सुसज्जित शिखर। चारों दिशाओं में सुकनासिका के ऊपर तीन भद्र मुख बने हैं जोकि क्रमानुसार एक-दूसरे के ऊपर अवस्थित हैं।
दो स्वास्तिकाकार देव मन्दिर मुख्य मंदिर समूह से दोनों कर्ण-पाश्र्व पर अलग से अवस्थित हैं। उनमें से उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थित मन्दिर पूर्ण अवस्था में है। मन्दिर की पीठिका में खुर, कुम्भ कलश और कपोतपातिका अलंकरण प्रमुख हैं। मन्दिर की दीवारों में बने हुए अलंकृत आलों में इन्द्र, शिव, दुर्गा व कार्तिकेय
की मूर्तियां उत्कृणित हैं। दीवारों के ऊपर मण्डित वरण्डिका भाग को चैत्य कोष्ठों से सुसज्जित किया गया है। पूर्वी द्वार के उतरंग
पर सात देवी-देवताओं को दर्शाया गया है।
जिनके मध्य में शिव अवस्थित हैं। उत्तरी प्रवेश द्वार के उतरंग पर पांच देवियों को दर्शाया गया है जिनके मध्य में लक्ष्मी विराजमान हैं। अन्य प्रवेश
द्वारों की द्वारशाला एवं उतरंग पर कमलाकृति एवं पत्रलता का अलंकरण उत्कीर्ण है।'विशालकाय शैलोत्कीर्ण एकाश्म मसरूर मँदिर
Amazing Masroor Temple complex ornately carved out of single rock
According to locals, this temple was built by Bhima d...uring Mahabharata times more than 5000 years ago.
The 15 temples form a single group with a larger temple - Thakurdwara shrine - in the centre. 14 temples are cut only from the outside, but Thakurdwara - also from the inside.
All temples are (or were) covered with intricate stone carvings of high quality but the most elaborate carvings adorn Thakurdwara.
The entrance in this central temple is facing east. Entrance part has four massive columns. Further entrance in the main shrine - garb-griha - leads through especially ornate stone door. Inside the shrine are blackstone images of Lord Rama, Sitaand Laxmana.
In the front of this group of pyramids was hewn almost 50 m long, rectangular water tank - gan . This is important part of this architectonic complex, almost always filled with water and mirroring the amazing temple complex.
एक कथानक के अनुसार इन एकाश्म मन्दिरों का निर्माण पांडवों द्वारा अपने अज्ञातवास के दौरान किया गया। पहाड़ी की ढलान पर
जंगली क्षेत्र में फैली हुई विशाल निर्माण एवं वास्तु की प्रतीक मसरूर मन्दिर समूह में चट्टान को काटकर बनाए गए उन्नीस स्वतंत्र खड़े हुए मन्दिर थे परन्तु वर्तमान में इनमें से कुछ ही शेष बचे हैं। मुख्य मन्दिर ठाकुरद्वारा मध्य में स्थित है। इसी के चारों ओर अन्य
मन्दिरों को इसी समरूपता में बनाया गया था। इनमें से सोलह मन्दिरों का निर्माण एक बड़े बलुआ पत्थर की पहाड़ी को काटकर किया गया है।


 जबकि दो मन्दिर मुख्य समूह से अलग स्वतंत्र रूप से दोनों किनारों पर निर्मित हैं। इन समूह मन्दिरों में ठाकुरद्वारा मन्दिर का निर्माण गुफा के रूप में चट्टान को काट कर किया गया है। इसके बाहरी हिस्से एवं दरवाजों को विस्तृत रूप से अलंकृत किया गया है। मन्दिर का द्वार उत्तर-पूर्व दिशा में है। गर्भगृह के मुख्यद्वार के ललाटबिम्ब पर उत्कीर्ण शिव की प्रतिमा से पता चलता है कि वास्तव में यह एक शिव मन्दिर था। नागरशैली में निर्मित इस मन्दिर में वर्गाकार गर्भगृह, अंतराल, मंडप एवं मुखमंडप हैं। मंडप व मुखमंडप का पता विशाल गोलाकार स्तम्भों के भग्नावशेषों से चलता है जो अभी भी योजनानुसार अपनी जगह पर मौजूद है। मंदिर के मंडप एवं मूल प्रसाद के बीच एक बृहद अंतराल है,जिस की छत को बहुत ही सुन्दर ढंग से अलंकृत किया गया है जिनमें सात खिले हुए कमल एवं हीरक अलंकरण प्रमुख हैं।
मन्दिर का प्रतिबिम्ब तालाब में भव्य दिखता है जैसे आमने-सामने दो मन्दिर हों।
गर्भगृह का विशाल द्वार पूर्ण रूप से अलंकृत है जिसमें पांच द्वार शाखाएं एवं भारपट्ट हैं। ललाटबिम्ब की शाखाएं 17 शिव आकृतियों से अलंकृत हैं। इसके अलावा शक्ति देवी की पांच अलग-अलग मूर्तियां हैं जिनमें द्वार के ऊपर बनी महेश्वरी, इन्द्राणी एवं तीन सिर वाली वज्र-वाराही को आसानी से पहचाना जा सकता है।
गर्भगृह के अन्दर मध्य में एक उठी हुई पादपीठिका है जिसके ऊपर राम, लक्ष्मण एवं सीता की पाषाण मूर्तियां हैं जो कि बाद के काल की प्रतीत होती हैं। मुख्य मन्दिर का शिखर नागर शैली का है जिसमें नौ-मूर्तियां हैं । प्रत्येक भूमि के कोनों पर आमलक बने हुए हैं। वरङ्क्षण्डका के ऊपर जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे है चौड़े चैत्य कोष्ठ से सुसज्जित शिखर। चारों दिशाओं में सुकनासिका के ऊपर तीन भद्र मुख बने हैं जोकि क्रमानुसार एक-दूसरे के ऊपर अवस्थित हैं।
दो स्वास्तिकाकार देव मन्दिर मुख्य मंदिर समूह से दोनों कर्ण-पाश्र्व पर अलग से अवस्थित हैं। उनमें से उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थित मन्दिर पूर्ण अवस्था में है। मन्दिर की पीठिका में खुर, कुम्भ कलश और कपोतपातिका अलंकरण प्रमुख हैं। मन्दिर की दीवारों में बने हुए अलंकृत आलों में इन्द्र, शिव, दुर्गा व कार्तिकेय
की मूर्तियां उत्कृणित हैं। दीवारों के ऊपर मण्डित वरण्डिका भाग को चैत्य कोष्ठों से सुसज्जित किया गया है। पूर्वी द्वार के उतरंग
पर सात देवी-देवताओं को दर्शाया गया है।
जिनके मध्य में शिव अवस्थित हैं। उत्तरी प्रवेश द्वार के उतरंग पर पांच देवियों को दर्शाया गया है जिनके मध्य में लक्ष्मी विराजमान हैं। अन्य प्रवेश
द्वारों की द्वारशाला एवं उतरंग पर कमलाकृति एवं पत्रलता का अलंकरण उत्कीर्ण है।