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Wednesday, February 3, 2016

Gautameswar temple where partially broken shivaling worshipped

Gautameswar temple 
 
रतलाम से लगभग सौ किमी दूर राजस्थान सीमा मे अरनोद नामक स्थान पर एक ऐसा अति प्राचीन धार्मिक स्थल है जिसके बारे मे बहुत कम लोग जानते है। वह है गौतमेश्वर महादेव का मदिर | हिन्दू धर्म शास्त्रो मे खण्डित देवी देवताओ की प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंगों एवं तस्वीरों का पूजन वर्जित माना गया है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खंडित देवी देवताओं की प्रतिमाओं को विसर्जित कर प्रथा है | किन्तु संभवतः विश्व मे एक मात्र ऐसी जगह सिर्फ गौतमेश्वर महादेव है जिनके दो भागों मे विभाजित एवं पूर्ण रुप से खण्डित शिवलिंग की पूजा अर्चना होती है आराधना होती है।
क्या है खण्डित शिवलिंग की कहानी :- मोहम्मद गजनबी जब सभी हिन्दू मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गोतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया । प्राचीन कथाओं के अनुसार शिवलिंग पर प्रहार करने पर भोलेनाथ ने अपना चमत्कार दिखाने के लिए पहले तो शिवलिंग से दूध की धारा छोडी, दुसरे प्रहार पर उसमे से दही की धारा निकली और जब गजनवी ने तीसरा प्रहार शिवलिंग पर किया तो भोलेनाथ क्रुध हो गये इसके पश्चात शिवलिंग से एक आंधी की तरह मधुमखियों का झुंड निकला जिसने गजनवी सहित उसकी पुरी सेना को परास्त किया। यहां पर गजनवी ने भोले की शक्ति का स्वीकारते हुए शीश नवाया मंदिर का पुन: निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया कि यदि कोई मुसलमान हमला करेगा या बुरी नजर से देखेगा तो वह सुअर की हत्या का दोषी होगा, इसी प्रकार यदि कोई हिन्दू इस मंदिर पर बुरी नजर डालेगा या नुकसान पहुंचाने की कोशीश करेगा तो वह गौहत्या का भागी बनेगा। आज भी यह शिलालेख यहाँ मौजूद है और उस पर सुअर तथा गाय का चित्र भी बना हुआ है